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पशुपालक इस नस्ल की गाय से 800 लीटर दूध प्राप्त कर सकते हैं

पशुपालक इस नस्ल की गाय से 800 लीटर दूध प्राप्त कर सकते हैं

किसान भाइयों यदि आप पशुपालन करने का विचार कर रहे हो और एक बेहतरीन नस्ल की गाय की खोज कर रहे हैं, तो आपके लिए देसी नस्ल की डांगी गाय सबसे बेहतरीन विकल्प है। इस लेख में जानें डांगी गाय की पहचान और बाकी बहुत सारी महत्वपूर्ण जानकारियां। किसान भाइयों के समीप अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के बेहतरीन पशु उपलब्ध होते हैं, जो उन्हें प्रति माह अच्छी आय करके दे सकते हैं। यदि आप पशुपालक हैं, परंतु आपका पशु आपको कुछ ज्यादा लाभ नहीं दे रहा है, तो चिंतित बिल्कुल न हों। आज हम आपको आगे इस लेख में ऐसे पशु की जानकारी देंगे, जिसके पालन से आप कुछ ही माह में धनवान बन सकते हैं। दरअसल, हम जिस पशु के विषय चर्चा कर रहे हैं, उसका नाम डांगी गाय है। बतादें कि डांगी गाय आज के दौर में बाकी पशुओं के मुकाबले में ज्यादा मुनाफा कमा कर देती है। इस वहज से भारतीय बाजार में भी इसकी सर्वाधिक मांग है। 

डांगी नस्ल की गाय कहाँ-कहाँ पाई जाती है

जानकारी के लिए बतादें, कि यह गाय देसी नस्ल की डांगी है, जो कि मुख्यतः गुजरात के डांग, महाराष्ट्र के ठाणे, नासिक, अहमदनगर एवं हरियाणा के करनाल एवं रोहतक में अधिकांश पाई जाती है। इस गाय को भिन्न-भिन्न जगहों पर विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। हालाँकि, गुजरात में इस गाय को डांग के नाम से जाना जाता है। किसानों व पशुपालकों ने बताया है, कि यह गाय बाकी मवेशियों के मुकाबले में तीव्रता से कार्य करती है। इसके अतिरिक्त यह पशु काफी शांत स्वभाव एवं शक्तिशाली होते हैं। 

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डांगी गाय कितना दूध देने की क्षमता रखती है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस देसी नस्ल की गाय के औसतन दूध देने की क्षमता एक ब्यांत में तकरीबन 430 लीटर तक दूध देती है। वहीं, यदि आप डांगी गाय की बेहतर ढ़ंग से देखभाल करते हैं, तो इससे आप लगभग 800 लीटर तक दूध प्राप्त कर सकते हैं। 

डांगी गाय की क्या पहचान होती है

यदि आप इस गाय की पहचान नहीं कर पाते हैं, तो घबराएं नहीं इसके लिए आपको बस कुछ बातों को ध्यान रखना होगा। डांगी गाय की ऊंचाई अनुमान 113 सेमी एवं साथ ही इस नस्ल के बैल की ऊंचाई 117 सेमी तक होती है। इनका सफेद रंग होता है साथ ही इनके शरीर पर लाल अथवा फिर काले धब्बे दिखाई देंगे। साथ ही, यदि हम इनके सींग की बात करें, तो इनके सींग छोटे मतलब कि 12 से 15 सेमी एवं नुकीले सिरे वाले मोटे आकार के होते हैं। 

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इसके अतिरिक्त डांगी गायों का माथा थोड़ा बाहर की ओर निकला होता है और इनका कूबड़ हद से काफी ज्यादा उभरा हुआ होता है। गर्दन छोटी और मोटी होती है। अगर आप डांगी गाय की त्वचा को देखेंगे तो यह बेहद ही चमकदार व मुलायम होती है। इसकी त्वचा पर काफी ज्यादा बाल होते हैं। इनके कान आकार में छोटे होते है और अंदर से यह काले रंग के होते हैं।

जानें दुनिया की सबसे महँगी गाय का भारत से क्या संबंध है ?

जानें दुनिया की सबसे महँगी गाय का भारत से क्या संबंध है ?

जिस ब्रीड की यह गाय है वह आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जनपद में पाई जाती है। इसी जनपद से ही इस ब्रीड को ब्राजील भेजा गया था। बतादें कि यहीं से ये गाय पूरी विश्व में फैल गई। 

 विश्वभर में रहने वाले करोड़ों हिंदू गाय को माता का दर्जा देते हैं। भारत में इस जीव की पूजा होती है। आयुर्वेद में गाय के दूध को अमृत के समतुल्य माना गया है। 

भारत के ग्रामीण इलाकों में आज भी आपको अधिकाँश घरों में गाय देखने को मिल जाएगी। हालांकि, आज हम देसी गायों की नहीं विश्व की सबसे महंगी गाय की बात कर रहे हैं। 

सबसे आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है, कि भले ही यह गाय विदेश में है। परंतु, इसका संबंध भारत से है।

इस गाय का क्या नाम है

हम जिस गाय की बात कर रहे हैं उस गाय का नाम वियाटिना-19 एफआईवी मारा इमोवीस है। यह नेल्लोर ब्रीड की गाय है। दरअसल, एक रिसर्च के अनुसार, ब्राजील में इस गाय के एक तिहाई भाग के मालिकाना अधिकार को 1.44 मिलियन डॉलर में विक्रय किया गया है। 

अर्थात तकरीबन 11 करोड़ रुपयों में। अब इसकी कुल कीमत का आंकलन इससे लगाया जाए तो वह 4.3 मिलियन होती है। इसे भारतीय रुपयों में तब्दील करें तो करीब 35 करोड़ रुपये होता है। इस गाय की आयु तकरीबन साढ़े चार साल है। 

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इस गाय का भारत से क्या रिश्ता है

भारत से इस गाय का संबंध बेहद खास होता है। दरअसल, जिस ब्रीड की ये गाय है, वो आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जनपद में पाई जाती है। इसी जनपद से ही इस ब्रीड को ब्राजील भेजा गया था। 

यहीं से यह गाय संपूर्ण विश्व में फैल गई और आज पूरे विश्व की सबसे महंगी गाय बन चुकी है। ऐसा माना जाता है, कि इस ब्रीड की तकरीबन 16 करोड़ गाय संपूर्ण विश्व में उपस्थित हैं।

यह गाय किस वजह से इतनी महंगी बिकती है

नेलोर ब्रीड की गाय पूरे विश्व में सबसे महंगी इस वजह से बिकती हैं। क्योंकि यह कहीं भी खुद को एडजस्ट कर लेती हैं और दूध भी अच्छा-खासा देती हैं। 

इसके साथ ही इनके दूध में विभिन्न ऐसे तत्व विघमान रहते हैं, जो कि शरीर के लिए काफी उत्तम होते हैं। चमकदार सफेद एवं ढीली त्वचा वाली यह गाय काफी ज्यादा सीधी होती हैं।

इनके कंधों पर एक कूबड़ सा निकला होता है। इन गायों की त्वचा ढीली भले होती है, परंतु यह बेहद कठोर होती है। इसकी वजह से ये गाय ज्यादा तापमान को भी सहन कर पाती है और खून चूसने वाले कीड़े भी इसको परेशान नहीं कर पाते हैं।

दुनिया की सबसे महंगी गाय की नस्ल, खूबियां और कीमत जानकर आपके होश उड़ जाएंगे

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भारत आदिकाल से कृषि के क्षेत्र में अग्रणी देश रहा है। कृषि के साथ-साथ पशुपालन किसानों की आय को बेहतर करने का सबसे उत्तम विकल्प रहा है। 

वर्तमान में भी किसान भाई खेती-किसानी के साथ-साथ पशुपालन का कार्य भी करते हैं। आज के समय में पशुपालन गांव ही नहीं बल्कि शहरों के अंदर भी किया जा रहा है। 

पशुपालन करने से किसानों को तभी अच्छी आय होती है जब उन्होंने पशुओं का चयन बड़ी कुशलता से किया हो। आज हम मेरीखेती के इस लेख दुनिया की सबसे महँगी गाय की नस्ल उसकी खूबियां और कीमत के बारे में बताएंगे। 

जानिए दुनिया की सबसे महंगी गाय कौन-सी है  

मीडिया खबरों के अनुसार, विश्व की सबसे महंगी नेलोर नस्ल की गाय है। यह गाय साढ़े 4 साल की वियाटिना-19 एफआईवी मारा इमोविस है। यह गाय ब्राजील में पाई जाती है। 

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प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्तमान में ब्राजील के एक पशुपालक ने नेलोर गाय को 6.99 मिलियन रियल ($1.44 मिलियन) मतलब की 11 करोड़ रुपये में बेची। ऐसे में यदि हिसाब-किताब किया जाए तो इसकी कुल कीमत 4.3 मिलियन डॉलर मतलब की 35 करोड़ रुपये है।

दुनिया की सबसे महंगी नेलोर गाय की क्या-क्या खूबियां हैं ?

नेलोर गाय गर्म मौसम में भी बड़ी ही सुगमता से पाली जा सकती है। यह गाय सफेद फर की होती है, जो गर्मी के दिनों में धूप से सुरक्षा करती है। नेलोर गाय में रोग प्रतिरोधक क्षमता अन्य गायों की अपेक्षा काफी अच्छी होती है। 

नेलोर गाय की त्वचा भी बेहद ज्यादा कठोर होती है। नेलोर गाय की त्वचा मोटी व सख्त होती है। इस गाय पर खून-चूसने वाले कीड़े के काटने का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। 

जानें विश्व की सबसे महंगी गाय का नाम नेलोर कैसे पड़ा  

नेल्लोर नस्ल की गाय वियाटिना-19 एफआईवी मारा इमोविस गाय का भारत से बहुत पुराना नाता है। इस गाय का नाम भारत के आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जनपद के नाम से पड़ा, क्योंकि यह गाय भारत के इस जनपद में एक बड़े पैमाने पर पाई जाती हैं। 

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इसी जनपद से ब्राजील व दुनिया के अन्य हिस्सों में भेजी गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार, नेलोर गाय की नस्ल केवल ब्राजील में ही 16 करोड़ हैं।